रविवार, 12 फ़रवरी 2012

मौसम

जाती रुतों को
रुकने के लिये
कोई नहीं कहता
नये मौसमों का इंतजार
सब करते हैं
अब देखो न...
तुम सर्दियाँ लेकर आई थी
और अब
शरद तुम्हारे साथ जा रहा है
मुहब्बतों की कहानियाँ भी
खूबसूरत मगर
इश्तेहार सरीखी होती हैं
मौसमों की तरह
इसके किरदार भी
बदल जाते हैं...

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