रविवार, 12 फ़रवरी 2012

जिंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें...

तुझे नजर भर के देखें
साँसों से गुजर जाने दें
ज़िंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें
गुलों में रंग भरें
बहारों का इंतजार करें
जिंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें
सहर की धूप में भींगे
शब का इंतजार करें
जिंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें
शहर के सब रास्ते
तेरे कूचे को जाते हैं
कि मौत से पहले
वहीं मेरा मजार बने
जिंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें
तुमसे मुहब्बत करें
तुम्हीं से गिला करें
जिंदगी क्यूं तेरा ऐतबार करें...

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