सोमवार, 10 जनवरी 2011

तुम...

तुम चुप रहती हो
मैं सुनता रहता हूं
ऐसे होती हैं बातें
तुम मुस्कुराती हो
मैं सोचता रहता हूं
ऐसे कटती हैं रातें

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Sir.. I have read all of your posts.. really well written.. keep it up..

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा ने कहा…

कवि हैं आप..

Snehal Bansode. ने कहा…

बढ़िया ...