बुधवार, 5 जनवरी 2011

हमारा अस्तित्व...

नदी के किनारे
साथ चलते हैं
पर मिलते नहीं
एक दूजे को देखते हैं
ठहरते हैं
फिर मुड़ जाते हैं
और एक दिन
नदी सूख जाती है
किनारे गुम हो जाते हैं
तब खत्म हो जाती है
किसी पुल की जरूरत
रह जाती है
बस सूखी मिट्टी
और शायद
हमारा अस्तित्व...

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

shandar.............bemisal