गुरुवार, 18 नवंबर 2010

तुम्हारी बातें...

तुम मिलो तो तुमसे कहूं
कितनी शीरीं हैं तुम्हारी बातें
तेरे बिन दिन खाली खाली सा लगता है
चाय में शक्कर बेमानी सा लगता है
शाम भी तन्हां है, मेरी तरह
मैं अधूरा, रात अधूरी, बात अधूरी
सब रतजगा करते हैं
रस्ता तुम्हारा तकते हैं
तुम मिलो तो तुमसे कहूं
कितनी शीरीं हैं तुम्हारी बातें...

1 टिप्पणी:

Snehal Bansode. ने कहा…

.अच्छा लिखते है आप ..शीरी मतलब क्या ?